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लेखक:

कर्ण सिंह

डॉ. कर्ण सिंह का जन्म जम्मू-कश्मीर की तत्कालीन रियासत के उत्तराधिकारी के रूप में 1931 में हुआ। अठारह साल की उम्र से ही वे राजनीति में संलग्न हो गए। पं. जवाहरलाल नेहरू के हस्तक्षेप पर उनके पिता महाराजा हरीसिंह ने उन्हें रीजेंट नियुक्त किया। इसके बाद वे अठारह सालों तक लगातार जम्मू-कश्मीर के प्रमुख रहे। इस दौरान 1952 तक उन्होंने रीजेंट, 1952 से 1965 तक सदर-ए-रियासत और 1965 से 1967 तक गवर्नर के रूप में कार्य किया।

1967 में डॉ. कर्ण सिंह केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल हुए और भारत के सबसे कम उम्र (36 वर्ष) के केन्द्रीय मंत्री बने। इस नियुक्ति पर उन्होंने गवर्नर के पद से इस्तीफा दिया और संसद के लिए चुने गए। अगले अठारह सालों तक संसद सदस्य रहते हुए उन्होंने मंत्रिमंडल में अनेक महत्त्वपूर्ण पदों को सुशोभित किया।

डॉ. कर्ण सिंह कई अन्य महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में भी लगातार सक्रिय रहे हैं, यथा, टैम्पल ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एक अंतर्राष्ट्रीय अंतर्धार्मिक संगठन) के चेयरमैन; पीपुल्स कमीशन ऑन एनवायरनमेंट एंड डेवलेपमेंट के अध्यक्ष; इंटरनेशनल सेंटर फॉर साइंस कल्चर एंड कांन्शियसनेस के अध्यक्ष; इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के अध्यक्ष, अरोविले फाउंडेशन के चेयरमैन; इसके अलावा क्लब ऑफ शेम तथा इक्कीसवीं सदी के लिए शिक्षा संबंधी यूनेस्को अंतर्राष्ट्रीय आयोग के सदस्य।

आत्मकथा : डॉ. कर्ण सिंह

कर्ण सिंह

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डॉ– कर्ण सिंह को आधुनिक भारत के चिंतकों और राजनयिकों में एक महत्त्वपूर्ण स्थान प्राप्त है ।

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मेरा जीवन दर्शन

कर्ण सिंह

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लेखक के जीवन के अनुभवों और अनुशीलन की प्रेरणात्मक प्रस्तुति....

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हिन्दू दर्शन

कर्ण सिंह

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भारतीय संस्कृति तथा दर्शन विशेष रूप से हिन्दी दर्शन के मनीषी चिंतक और विचारक की यह पुस्तक समकालीन समाज से गहरा सरोकार रखती है और चिंतन के कई नए आयामों को उजागर करती है।   आगे...

 

   3 पुस्तकें हैं|

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